।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
  मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी, वि.सं.-२०७४, मंगलवार
   भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय



भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

१.   भगवत्प्राप्तिकी सच्ची लगन होना

(गत ब्लॉगसे आगेका)

(१६)

लोगोंको परमात्मप्राप्तिमें कठिनता इसलिये मालूम देती है कि भीतरमें असली लगन नहीं है । लगन हो तो परमात्मप्राप्ति बहुत सुगम है । लगन न हो तो परमात्मप्राप्ति बहुत कठिन है । परमात्मप्राप्तिमें प्रारब्ध, उद्योग, बुद्धि, विद्या, योग्यता आदिकी जरूरत नहीं है ।........सदाचारी आदमीके भीतर भी अगर लगन नहीं है तो उसको परमात्मा नहीं मिलते । परन्तु दुराचारी आदमीके भीतर भी लगन लग जाय तो वह परमात्माकी प्राप्ति कर सकता है । बड़े-बड़े चोर, डाकू, कसाईके भीतर भी जब परमात्माकी लगन लग गयी तो वे परमात्माको प्राप्त हो गये । लगन हो तो परमात्मा हरेकको प्राप्त हो सकते हैं । वे तो मिलनेके लिये तैयार बैठे हैं ! लगन नहीं है‒इसके सिवाय परमात्मप्राप्तिमें कोई कठिनता नहीं है । लगन हो तो सन्त-महात्मा भी मिल जायँगे, पर लगनके बिना वे मिलते हुए भी काम नहीं आयेंगे । इसलिये आप सच्ची लगन लगाओ । भगवान्‌से माँगो तो एक लगन ही माँगो । सच्चे हृदयसे भगवान्‌से प्रार्थना करो कि हे नाथ ! वह लगन दो, जिससे आप प्रकट हो जाते हो’

(१७)

अपना कल्याण न गुरुके अधीन है, न सन्तोंके अधीन है और न ईश्वरके अधीन है, यह तो स्वयंके अधीन है‒‘उद्धरेदात्मनात्मानम्’ (गीता ६ । ५) अपने द्वारा अपना उद्धार करे’ आप नहीं करोगे तो कल्याण नहीं होगा, नहीं होगा । लाखों गुरु बना लो तो भी कल्याण नहीं होगा । जब भूख भी खुद रोटी खानेसे ही मिटती है, फिर कल्याण दूसरा कैसे करेगा ? आपकी लगनके बिना भगवान् भी आपका कल्याण नहीं कर सकते, फिर गुरु कर देगा, महात्मा कर देगा‒इस ठगाईमें, इस चक्करमें मत आना । इसमें धोखा है, धोखा है ! पहले ही फँसे हुए हो, गुरु मिल जाय तो और फँस जाओगे ! जब परमात्माके रहते हुए हमारा कल्याण नहीं हुआ तो क्या उनसे भी तेज महात्मा आ जायगा ! दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ प्रभुके रहते हुए हमारा कल्याण नहीं हुआ, फिर गुरुसे कैसे होगा ? क्या भगवान् मर गये या बीमार हो गये या उनकी शक्ति कम हो गयी ? आपको खुदको ही लगना पड़ेगा । आप खुद लग जाओ तो गुरु, सन्त-महात्मा, भगवान् आदि सब-के-सब आपके सहायक हो जायँगे । बच्चेको भूख न हो तो दयालु माँ भी क्या करेगी ? आपकी लगनके बिना कौन कल्याण करेगा और कैसे करेगा ?


अनन्त युग बीत गये, फिर भी हमारा कल्याण क्यों नहीं हुआ ? क्या भगवान्‌की दयालुतामें, सर्वज्ञतामें, सर्वसमर्थतामें कोई कमी है ? क्या गुरु भगवान्‌से ज्यादा दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ है ? जैसे अपना पतन आप खुद कर रहे हो, दूसरा नहीं, ऐसे ही अपना उत्थान भी आपको खुद ही करना पड़ेगा, अन्यथा परमात्माके रहते हुए आप दुःख क्यों पा रहे हो ? आपके तैयार हुए बिना कोई कल्याण नहीं कर सकता और आप तैयार हो जाओ तो कोई बाधा नहीं दे सकता ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे