।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
     पौष कृष्ण चतुर्दशी, वि.सं.-२०७४, रविवार
श्राद्धादिकी अमावस्या
  भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय


भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

(गत ब्लॉगसे आगेका)

७. भगवान्‌को पुकारना तथा प्रार्थना करना

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हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’इस प्रार्थनामें बड़ा भारी बल है । निरन्तर नामजप करो और थोड़ी-थोड़ी देरमें यह प्रार्थना करते रहो । निहाल हो जाओगे ! भगवान्‌को भूलूँ नहीं‒यह काम हमारा है, और सब काम भगवान्‌का है । आपको कुछ काम करना नहीं पड़ेगा ।

(८)

जैसे बालक माँको मानता है, ऐसे आप भगवान्‌को मान लो । इससे आपके जीवनमें फर्क पड़ेगा, भीतरसे एक बड़ा सन्तोष होगा, शान्ति मिलेगी । आप रात-दिन नामजप करो और भगवान्‌से बार-बार कहो कि हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ । पाँच मिनटमें, सात मिनटमें, दस मिनटमें, आधे घण्टेमें, एक घण्टेमें कहते रहो कि हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ । एक घण्टेसे अधिक समय न निकले । निहाल हो जाओगे ! इसमें लाभ-ही-लाभ है, हानि है ही नहीं । यह सभीके लिये बहुत बढ़िया चीज है । आपका लोक और परलोक सब सुधर जायगा । भगवान् सुग्रीवसे कहते हैं‒

सखा सोच  त्यागहु  बल मोरें ।
सब बिधि घटब काज मैं तोरें ॥
                                (मानस, किष्किन्धा ७ । ५)

इस तरह भगवान् सब काम करनेको तैयार हैं । आप विचार करके देखो, भगवान्‌ने मनुष्यजन्म दिया है, सत्संग दिया है, सत्संगमें अच्छी-अच्छी बातें दी हैं तो यह हमें उनकी कृपासे मिला है, अपने उद्योगसे नहीं मिला है । इतना काम जिसने किया है, वही आगे भी काम करेगा ! हमारे द्वारा प्रार्थना किये बिना, माँगे बिना जब भगवान्‌ने अपने-आप इतना दिया है, तो फिर हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ ऐसी प्रार्थना करनेपर क्या वे हमें छोड़ेंगे ? अपने-आप कृपा करेंगे ! जरूर कृपा करेंगे !

(९)

हरदम भगवान्‌से प्रार्थना करते रहो कि हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ । भगवान्‌के दर्शनके बिना हरदम बेचैनी रहे, कहीं भी मन नहीं लगे, कोई बात सुहाये नहीं । भगवान्‌के सिवाय और कोई बात याद ही नहीं आये । वास्तवमें भगवान् हमारे भीतर हैं । उनको बार-बार हे मेरे नाथ ! हे मेरे प्रभो !’ पुकारो और समझो कि भगवान् मेरे भीतर हैं; उनसे मैं कह रहा हूँ और वे सुन रहे हैं, मुझे देख रहे हैं । एक जन्मकी माँ भी पुकारनेसे आ जाती है, फिर भगवान् तो सदाकी माँ हैं ! वे जरूर आयेंगे !

(१०)


हरदम हे नाथ ! हे नाथ !’ कहकर भगवान्‌को पुकारो । संसारकी चाहनाको छोड़ना हो तो भगवान्‌को पुकारो । दुर्गुणोंको छोड़ना हो तो भगवान्‌को पुकारो । सद्‌गुणोंको लाना हो तो भगवान्‌को पुकारो । संसारका चिन्तन आ जाय तो भगवान्‌को पुकारो कि हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं’ । जो होगा, भगवान्‌की कृपासे होगा, अपने बलसे नहीं । बच्चेपर आफत आ जाय तो माँको पुकारनेके सिवाय वह और क्या करे ? थोड़ा भी संसारका चिन्तन है, आकर्षण है तो रात-दिन भगवान्‌को पुकारो । संसारके चिन्तनसे रहित होते ही भगवान् अपने-आप मिल जायँगे ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे