।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
     पौष कृष्ण अमावस्या, वि.सं.-२०७४, सोमवार
सोमवती अमावस्या
  भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय


भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

(गत ब्लॉगसे आगेका)

८. भगवान्‌को अपना मानना

(१)

आप भगवान्‌के हो जाओगे तो आपका सब काम भगवान्‌का हो जायगा । आप भगवान्‌के, घर भगवान्‌का, कुटुम्ब भगवान्‌का, वस्तुएँ भगवान्‌की‒यह मान लो तो आपका सत्संग करना सफल हो गया ! सब कुछ भगवान्‌का मान लें‒इससे सरल उपाय और क्या बताऊँ ?

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आप आज, अभी, इसी समय स्वीकार कर लें कि हम परमात्माके अंश हैं और परमात्मामें ही रहते हैं, तो निहाल हो जायँगे । जड़ शरीर प्रकृतिका अंश है और प्रकृतिमें ही रहता है । जड़ तो सपूत ही रहता है, आप ही कपूत हो जाते हैं । आपकी एकता परमात्माके साथ है, शरीर-संसारके साथ नहीं । आप कितने ही पापी हों तो भी आप परमात्माके साथ हैं । पाप-पुण्य आपका स्पर्श ही नहीं करते । आप परमात्माके हैं और परमात्मा आपके हैं‒इसको आप भूल जायँ तो भी बात वैसी-की-वैसी ही है ।........मैं परमात्माका हूँ‒यह चिन्तन करनेकी बात नहीं है, प्रत्युत माननेकी बात है । दो और दो चार ही होते हैं, इसमें चिन्तन करनेकी क्या बात है ?

(३)

हम भगवान्‌के हैं और भगवान् हमारे हैं‒इतना स्वीकार कर लो तो हमारा सत्संग सफल हो गया, और आपका काम भी सफल हो गया ।

(४)

भगवान्‌को अपना मान लो तो सब काम पूरा हो जायगा, कोई काम किंचिन्मात्र भी बाकी नहीं रहेगा । कर्मयोग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग, भक्तियोग आदि कुछ बाकी नहीं रहेगा, साधक पूर्ण हो जायगा; कृतकृत्य, ज्ञातज्ञातव्य, प्राप्तप्राप्तव्य हो जायगा । अनन्त ब्रह्माण्डोंका पालन करनेवाले भगवान् हमारे हैं‒यह मान लो तो अब क्या बाकी रहा, कैसे बाकी रहा ?

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भगवान् हमारे हैं, उनके सिवाय कोई हमारा नहीं है‒ऐसा मान लो तो आप जीवन्मुक्त, तत्त्वज्ञ, महात्मा हो जाओगे ।

(६)


हम भगवान्‌के हैं‒यह इतनी बढ़िया बात मिल गयी, अब और क्या चाहिये ? अगर हम इस बातको न भूलें कि हम भगवान्‌के हैं तो सब काम ठीक हो जायगा, चेतन अमल सहज सुख रासी’ का अनुभव हो जायगा । हमें साधन करना नहीं पड़ेगा, होने लग जायगा ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे