।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
  फाल्गुन शुक्ल षष्ठी, वि.सं.-२०७४, बुधवार
मैं नहीं, मेरा नहीं 


(गत ब्लॉगसे आगेका)

श्रोताआपने कहा था कि जो बात मुझे चालीस सालमें मिली, वह चालीस मिनटमें बतायी जा सकती है, तो वह बात क्या है ?

स्वामीजीचालीस मिनट भी नहीं लगेगे ! वह बात यह है कि संसारकी इच्छा मिट जाय तो तत्काल तत्त्वप्राप्ति हो जायगी । संसारकी इच्छा रखनेसे फायदा कुछ नहीं और नुकसान बड़ा भारी है ! इच्छा छोड़नेसे तत्काल प्राप्ति हो जाय । भीतरकी इच्छाओंका त्याग किये बिना काम होता नहीं ।

कबीर  मनुआँ  एक  है,  भावे  जिधर  लगाय ।
भावे हरि की भगति करे, भावे विषय कमाय ॥

संसारकी इच्छा छोड़ दो तो बहुत जल्दी काम हो जायगा । पर यह बात जल्दी अक्लमें आती नहीं ! मैं भुक्तभोगी हूँ ! संसारकी इच्छा छोड़ दो तो परमात्माकी इच्छा स्वतः-स्वाभाविक पूरी हो जायगी । उसके लिये उद्योग नहीं करना पड़ेगा । संसारकी इच्छा न छूटे तो भगवान्से प्रार्थना करो कि ‘हे नाथ ! संसारकी इच्छासे पिण्ड छुड़ाओ !’ उनकी कृपासे काम होगा । भगवान् कृपा कैसे करते हैंयह मैं नहीं जानता, पर वे कृपा करते हैंयह मैं जानता हूँ । हमारी योग्यताके बिना काम होता हैऐसी कृपा भगवान् करते हैं !

सच्ची बातका दुःख भगवान्से सहा नहीं जाता । परन्तु संसारके लिये रोओ तो भगवान् सह लेते हैं ! मर जाओ तो भी परवाह नहीं करते ! परमात्माकी इच्छा जोरदार हो और रो पड़ो तो यह दुःख भगवान् सह नहीं सकते; क्योंकि यह सच्चा दुःख है । सांसारिक पदार्थोंके लिये रोओ तो भगवान्पर कुछ असर नहीं पड़ता । भगवान् यह देखते हैं कि पहलेसे ही काफी दुःख है, फिर और दुःख क्यों माँगता है !

यह बहुत सुगम रास्ता है । परन्तु अपनेसे होता नहीं और क्या बाधा हैयह जानते नहीं तो आप दुःखी हो जाओ । वह दुःख भगवान् नहीं सहते । भगवान् किसी सन्तको मिलायेंगे, कोई युक्ति बतायेंगे, कोई उपाय बतायेंगे ! भगवान्के पासमें जितने उपाय हैं, उनको हम जानते नहीं हैं ! आप केवल  दुःखी हो जाओ । काम हो जायगा ! यह उपाय हम सब जानते हैं और काममें भी लिया हुआ है । जब हम बालक थे, तब कोई इच्छा होती तो रो देते । काम बन जाता ! माँको सब काम छोड़कर हमारा काम करना पड़ता ! भगवान् तो सदाकी माँ है ! इससे सुगम बात और क्या बताऊँ ? रोनेसे मुफ्तमें काम बनता है ! भगवान्को ‘हे नाथ ! हे नाथ !’ पुकारो और व्याकुल हो जाओ । सब काम बन जायगा ! यह सबके लिये एकदम बढ़िया दवाई है !


ज्ञानमार्गमें देरी हो सकती है, पर भक्तिमार्गमें देरी नहीं होती । गीतामें गुरुकी बात ज्ञानमार्गवालोंके लिये आयी है‘आचार्योपासनम्’ (गीता १३ । ७) भक्तिमार्गवालोंके लिये गुरुकी बात नहीं आयी है । भक्तिमार्ग बड़ा सरल, सुगम है । इसमें भगवान्का बड़ा सहारा है ! ठाकुरजी सब काम करते हैं ! आप भगवान्के आगे रोओ तो सही ! देखो कैसे काम बनता है !

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहींमेरा नहीं’ पुस्तकसे