।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
वैशाख शुक्ल तृतीया, वि.सं.-२०७५, बुधवार
               अक्षय-तृतीय, श्रीपरशुराम-जयन्ती
                    मैं नहीं, मेरा नहीं 



(गत ब्लॉगसे आगेका)

यं लब्ध्वा चापरं लाभ   मन्यते नाधिक तत:
यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणापि विचाल्यते ॥
                                              (गीता ६ । २२)

‘जिस लाभकी प्राप्ति होनेपर उससे अधिक कोई दूसरा लाभ उसके माननेमें भी नहीं आता और जिसमें स्थित होनेपर वह बड़े भारी दुःखसे भी विचलित नहीं किया जा सकता ।’

सब भगवान् ही हैंइससे बढ़कर लाभ क्या होगा ? आपका मनुष्यजीवन सफल हो गया ! मनुष्यजीवन तभी सफल है, जब हरदम भगवान्‌को देखकर हरदम प्रसन्न रहे, हरदम आनन्दमें रहे । यह कोई अपना पुरुषार्थ नहीं है । यह भगवान्‌की अलौकिक कृपा है ! उनकी कृपाका कोई पारावार नहीं है । उनकी कृपाको देखकर हरदम प्रसन्न रहे । मौज हो गयी ! कोई मर जाय तो मौज, कोई जन्म जाय तो मौज ! अच्छा हो जाय तो मौज, बुरा हो जाय तो मौज ! भगवान्‌की अलौकिक, विचित्र कृपा हो गयी ! सत्संग सफल हो गया ! जीवन सफल हो गया ! भगवान्‌ने बहुत विशेष कृपा की है ! ‘जब द्रवै दीनदयालु राघवु साधु-संगति पाईये’ (विनय १३६ । १०) इसमें आपका और मेरा कुछ नहीं है । केवल भगवान्‌की कृपा है !

हरदम मस्त रहो ! कोई मरे तो, कोई जन्मे तो, कोई बीमारी आ जाय तो, घाटा लगे तो, नफा हो जाय तो, हर हालमें मस्त रहो कि भगवान्‌की कृपा हो गयी ! हरेक परिस्थितिमें भगवान्‌की कृपा है । दुःखमें कृपा कम नहीं है । शरीरके प्रतिकूल, इन्द्रियोंके प्रतिकूल, मनके प्रतिकूल, बुद्धिके प्रतिकूल हो जाय तो उसमें भी भगवान्‌की कृपा है !

लालने ताडने मातुर्नाकारुण्यं यथार्भके ।
तद्वदेव महेशस्य    नियन्तुर्गुणदोषयोः ॥

‘जिस प्रकार माताकी बालकपर उसके पालन करने और ताड़ना देनेमें कहीं अकृपा नहीं होती, उसी प्रकार गुण-दोषोंपर नियन्त्रण करनेवाले परमेश्वरकी कहीं किसीपर अकृपा नहीं होती ।’


दुःखमें भगवान्‌की कृपा ज्यादा है । अगर किसी माँके मनमें आ जाय तो वह सब बालकोंको लड्डू-जलेबी दे सकती है, पर थप्पड़ नहीं मार सकती । थप्पड़ केवल अपने लड़केको ही मार सकती है । ऐसे ही दुःखमें भगवान्‌की विशेष कृपा है कि वे हमें अपना मानते हैं ! अपनेपनमें जो सुख है, वह लड्डू-जलेबीमें नहीं है । इसलिये मेरा सब भाई-बहनोंसे कहना है कि हरदम मस्त रहो, आनन्दमें रहो । कोई चिन्ता, फिक्र मत करो ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहींमेरा नहीं’ पुस्तकसे